मै कृष्णा बस्सी से
मैं कृष्णा गांव बांसखोह बस्सी विकासखण्ड की रहने वाली हॅू। परिवार में माता-पिता व दो भाई है। वर्तमान में मैं बी.ए. तृतीय वर्ष में अध्ययनरत हूँ। मेरा परिवार पेन्टिग्स् कार्य से जुडा हुआ है। मेरी माँ श्रीमती पार्वती देवी घर के कार्य के साथ ही किराने की छोटी सी दुकान भी चलाती है। हमारें गांव में सभी जातियों के लोग रहते है। मेरे गांव में बच्चों के सीखने-सिखाने का केन्द्र (इखवेलो) एस.सी समुदाय के मध्य संचालित किया जा रहा है। मौहल्ले में हरिजन, खटीक, रैगर, धानका और बैरवा सभी समुदाय के लोग रहते है। समुदाय गरीबी व जानकारी के अभाव के कारण शिक्षा के क्षेत्र में पिछडा है।
मैं दूसरा दशक से वर्ष 2017 में जीवन कौशल शिक्षा प्रशिक्षण के माध्यम से जुड़ी । मैंने प्रशिक्षण में विभिन्न मुददों जैसे – स्वच्छता, पोषण, जेण्डर, अपनी पहचान, नशा, जाति धर्म पर समझ बनायी और बतौर सहभागी दूसरा दशक के कार्यों व गतिविधियों में सतत जुड़ाव व सहयोग करना शुरु किया।
मुझे दूसरा दशक की गतिविधियों व प्रशिक्षणों के साथ-साथ अन्य दूसरी संस्थाओं द्वारा आयोजित प्रशिक्षणों में भाग लेने का मौका भी मिला। मैं पहले कठोर एवं स्वभाव से जिद्दी थी| प्रशिक्षणों में निरन्तर जुड़ाव व समझ के कारण स्वभाव सरल हुआ। मैं वर्तमान में गांव स्तर पर बने युवामंच में अध्यक्ष पद पर हूँ। मैं केन्द्र (इखवेला) पर निरन्तर जाती हॅू और वहॉ वहॉ बच्चों के साथ शिक्षण कार्य व विभिन्न सृजनात्मक गतिविधियों सहयोग करती हूँ। मैनें सतत् सम्पर्क कर व प्रोत्साहित करते हुए हरिजन समुदाय के 9 किशोरों को चार माही आवासीय शिविर से भी जोडा। वर्तमान में मैनें पापा के साथ मिलकर कोरोना वायरस के बचाव हेतु 350 मास्क तैयार कर समुदाय में निःशुल्क वितरण किए। युवामचं व स्थानीय लोगों के सहयोग से लॉकडाउन में फंसे प्रवासी लोगों को भोजन वितरण करने में सहयोग किया। मैं समुदाय के लोगो को उनके हक व अधिकार व लोक-कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी देती रहती हॅू। वर्तमान में इन सभी कार्यो के साथ-साथ लक्षण व बचाव के उपायों के बारे में कार्डसीट पर चित्र व श्लोग्न लिखकर समुदाय को सोशल डिस्टेन्स, मास्क लगाने, ग्लव्स पहनने, सेनेटाइजर का उपयोग करने के बारे में जागरुकता का कार्य कर रही हॅू। मुझे इन सभी कामों को करना अच्छा लगता है, और खुशी महसूस होती है, यह सब दूसरा दशक से जुड़कर ही सीखा है।
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