मानसर खेड़ी की किरण
हरिजन मौहल्ला, गांव मानसर खेड़ी (बस्सी) में रहने वाली 21 वर्षीय किरण हरिजन अपने परिवार में चार बहन-भाईयों में सबसे बड़ी है। पिता श्री बुद्विप्रकाश व माता सरोज देवी गांव/मौहल्ले की साफ-सफाई का कार्य करते है जो उनका पुश्तेनी कार्य है या कहें कि इनके पूर्वज भी यही कार्य करते थे। गांव में मेहनताना भी बहुत कम मिलता है, जो मिलता उसी से परिवार चल रहा था। किरण कम बोलने वाली शर्मिली लड़की, या यह कहे कि हरिजन परिवार से होने के कारण कम बोलती और बतियाती। शायद यही कारण रहा कि किरण ने 2015 में कक्षा 10 के दौरान पढाई छोड दी। किरण घर के कार्यो व अपने छोटे भाई-बहनों को संभालने लगी। बस यही उसकी दिनचर्या बन गई। किरण का सपना था कि वह आगे पढ़े परन्तु समाज में बने जातिगत भेदभाव के माहौल से डरती थी। बास-मौहल्ले में किरण जैसे कई और किशोर/किशोरी है, इसी कारण बास-मौहल्ले के ज्यादातर किशोर सूअर पालने, मुर्गें-मुर्गियां व बकरियां पालने का काम करते। किशोरियॉ घर के काम के साथ-साथ अन्य मौहल्लों में साफ-सफाई में अपनी मां का सहयोग करती।
हमनें (दूसरा दशक) मौहल्ले के किशोर/किशोरियों व अभिभावकों से बातचीत करते हुए उनके सहयोग एवं समर्थन से सीखने-सिखाने व पढने-पढाने के प्रति रुचि जगाने हेतु कक्षा शुरू की। किरण के साथ-साथ 7 किशोरियां व 6 किशोर भी शामिल हुए। किरण की पढाई में रूचि व उसके उत्साह को देखते हुए कक्षा 10 में पुनः विद्यालय में प्रवेश दिलाया। किरण के लिए ये सब करना आसान नही था, वह जानती थी कि मुश्किलें तो आयेगी। एक तरफ समाज का भेद दूसरी तरफ परिवार की जिम्मेदारी व पढाई छोड़ने का दबाव।
किरण मुश्किलों से लड़ते हुए आगे बढी और कक्षा 10 में अच्छे नम्बरों के साथ उर्त्तीण हुई। इस तरह रास्ते खुलते गए किरण बढ़ती गई। पढाई के साथ-साथ किरण युवामंच में सदस्य रही। विभिन्न कार्यशालाओं व गतिविधियों से लगातार जुडी रहने के कारण आज वह खुलकर अपने विचार रखती है अपने मौहल्ले के किशोर/किशोरी को अपनी शिक्षा को आगे बढाने हेतु प्रेरित करती हैं। किरण हरिजन बस्ती की पहली किशोरी है जो कक्षा 12वीं तक पहुची है। उससे प्रेरित होकर आज उसी के मौहल्ले के अतिरिक्त अन्य किशोरियां भी स्टेट ओपन के माध्यम से पुनः पढाई से जुड पायी है।