रिश्तो की सौदेबाजीसंगीता देसूरीराजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में कई जातियों में ”आटा-साटा“ प्रथा प्रचलित है । इसके अंतर्गत यदि एक परिवार में किसी लड़के की शादी करनी है, तो उसके परिवार से एक लड़की की शादी भी उसके ससुराल में किसी से करनी होगी । जिस परिवार में लड़कियां नहीं हैं, उनके लड़कों की शादियाँ भी इस कारण नहीं हो पातीं हैं । लैंगिक असमानता के कारण शुरु हुई इस प्रकार की रिश्तों की सौदेबाजी और भयावह हो जाती है, यदि दोनों में से कोई भी रिश्ता भविष्य में टूटता है, तो दूसरे को भी तोड़ना पड़ता है ।इस सौदेबाजी की शिकार हुई देसूरी विकासखंड के गांव केसूली की संगीता हीरागर। संगीता जब 17 साल की थी तो उसकी सगाई उसके भाई के ससुराल के किसी लड़के से कर दी गई । संगीता की इच्छा पूछना या लड़के से मिलने की तो कोई संभावनाएं भी नहीं थीं । संगीता ने रिश्ते को स्वीकार कर लिया और अपने दाम्पत्य जीवन के सपने उस लड़के के साथ देखने लगी ।अब वह उसे पसंद भी करने लगी । लेकिन कुछ समय बाद उसके भाई की मंगेतर ने रिश्ता तोड़ दिया । अब संगीता के मां-बाप ने संगीता को कहा कि तुम्हें भी यह रिश्ता तोड़ना होगा । लेकिन संगीता ने कहा अब मैं अपने रिश्ते को क्यों तोडूं ? उल्लेखनीय है कि संगीता दूसरा दशक से 12 साल की उम्र में चार माही शिविर से जुड़ी थी, उसके बाद जीवन कौशल, पंचायतीराज, प्रजनन स्वास्थ्य और अधिकार, जेंडर, आदि विषयों पर 9-10 प्रशिक्षण प्राप्त किए हैं । समाज के मुखिया और उनके दबाव में आए माता-पिता को काफी समझाया लेकिन वो माने नहीं । इस कारण से संगीता को अपने माता-पिता से रिश्ता तोड़ना पड़ा और उसने समाज की कुरीति ‘आटा-साटा’ के खिलाफ जाकर अपने मंगेतर से कोर्ट-मैरिज’ की है ।वह वर्तमान में आशा सहयोगिनी के पद पर काय कर रही है । दूसरा दशक के सहयोग से स्टेट ओपन स्कूल से कक्षा बारहवीं की परीक्षा की तैयारी भी कर रही है। दूसरा दशक को वह अपने जीवन में बहुत महत्व पूर्ण मानती है ।
Categories Our Stories