Youth Leader: Sakaram – Doosra Dashak
युवा नेतृत्वकर्ता: सकारामपिण्डवाडावर्ष 2007 से पिण्डवाडा में दूसरा दशक की शुरूआत से ही सकाराम का जुड़ाव रहा है। उसने जीवन कौशल प्रशिक्षण से पहली बार दूसरा दशक की गतिविधियों से जुड़ना शुरू किया जो आज तक जारी है। ऊँची-नीची पहाड़ियों वाले गाँव घरट में रहने वाले सकाराम ने कला जत्था कार्यक्रमों में गांव-गांव जाकर उसे मजबूती दी और अन्य काम भी किये। लगातार युवामंच में सक्रिय भूमिका निभाने वाले सकाराम ने अनेक मुद्दो पर दूसरा दशक के प्रशिक्षणों में भाग लिया है। समय-समय पर उसने एक अच्छे नेतृत्वकर्त्ता की भूमिका का निर्वहन करते हुए दूसरा दशक परियोजना की विभिन्न गतिविधियों से युवाओं एवं महिलाओं को जोड़ने का काम किया है। सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों को उनका वास्तविक हक दिलाने की पहल व युवा मंच के सदस्य के रूप में कर चुका, आगे चलकर ब्लॉक स्तरीय युवा शक्ति संगठन का अध्यक्ष भी बना है और नेतृत्व कर रहा है। उसने युवा शक्ति संगठन को एक नया स्वरूप देने का भी काम किया है जिसके फलस्वरूप सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत अपनी पंचायत में हो रहा घोटाला उजागर हुआ साथ ही पोर्टल 181 के तहत ऑनलाईन शिकायत भी दर्ज करवाकर समस्याओं का समाधान करवाया है ।मनरेगा में मेट का काम भी किया। मनरेगा निगरानी समिति में भी उसकी भागीदारी है। वह पंचायत के कामों में अन्य युवाओं के साथ मिलकर विभिन्न मुद्दों पर आवाज उठाता रहता है। इसके साथ-साथ विद्यालय में सुचारु शिक्षण व्यवस्था, सार्वजनिक वितरण प्रणाली के व्यवस्थित संचालन हेतु निगरानी भी करता है। सकाराम ने ‘वॉट्सअप’ ग्रुप से अब तक 232 लोगों को जोडा हुआ है जिससे अपने क्षेत्र की कोई भी नई खबर, विज्ञिप्तियों की जानकारी, समाज में कुप्रथाओं को बन्द करने की बातें शेयर करता है।स्नातक तक की पढाई करने के बाद सकाराम ने एक स्थानीय संस्था में नौकरी लगी, संस्था ने उससे फर्जी बिल वाउचर बनवाने चाहे तो उसने इंकार कर दिया और वहां से नौकरी छोड़ दी । बाद में सकाराम ने उदयपुर में आजीविका ब्यूरो से जुड़ कर मोबाईल रिपेयरिंग का काम सीखा । धीरे-धीरे उसने कम्प्यूटर में भी योग्यता हासिल कर ली । इसी बीच दूसरा दशक के  माध्यम से उसने अपने चार साथियों के साथ आईसीआईसीआई एकेडमी, जयपुर में तीन माह का प्रशिक्षण लेकर अपना आईटी केन्द्र खोला और अब स्टेट बैंक से मान्यता प्राप्त ई-मित्र, मोबाइल एवं घरेलू उपकरणों के रख-रखाव का काम बखूबी कर रहा है । उसने अपने साथ दो अन्य साथियों को भी जोड़ लिया है । आज वह लगभग 20 हजार रुपये प्रतिमाह कमा रहा है । ग्रामीणों के हितों के काम पहले भी कर रहा था, अबब अपने मिनी बैंक व ई-मित्र के माध्यम से लोगों को सरकारी सुविधाओं को प्राप्त करने में सहयोग कर रहा है।उसकी अब तक की विकास यात्रा की कहानी अन्य युवाओं में उत्साह जगाती है । वह युवाओं का रोल मॉडल ही है । अपनी मेहनत, लगन और प्रयासों से ग्रामीण इलाके में युवा वर्ग का रोल मॉडल बन जाने वाले सकाराम पर किसी को भी गर्व हो सकता है । आज वह अपने पांवों पर ही नहीं खड़ा है बल्कि गांव के सार्वजनिक मुद्दों को मुखरता से उठाता है और उनके हल करवाता है ।
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