Rishto ki Sodebaaji
रिश्तो की सौदेबाजी संगीता देसूरी राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में कई जातियों में ”आटा-साटा“ प्रथा प्रचलित है । इसके अंतर्गत यदि एक परिवार में किसी लड़के की शादी करनी है, तो उसके परिवार से एक लड़की की शादी भी
C-113, Shivagi Marg, Tilak Nagar, Jaipur, 302-004
रिश्तो की सौदेबाजी संगीता देसूरी राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में कई जातियों में ”आटा-साटा“ प्रथा प्रचलित है । इसके अंतर्गत यदि एक परिवार में किसी लड़के की शादी करनी है, तो उसके परिवार से एक लड़की की शादी भी
समाज को विमल करती ‘विमला’ (विमला देसूरी) हमेशा की तरह विमला अपने घर के आगे झाडू लगा रही थी I अचानक पीठ पर हाथ का स्पर्श हुआ । मुड़कर देखा तो यह वही बुजुर्ग पुजारी था I जिसकी बुरी
मै कृष्णा बस्सी से मैं कृष्णा गांव बांसखोह बस्सी विकासखण्ड की रहने वाली हॅू। परिवार में माता-पिता व दो भाई है। वर्तमान में मैं बी.ए. तृतीय वर्ष में अध्ययनरत हूँ। मेरा परिवार पेन्टिग्स् कार्य से जुडा हुआ है। मेरी
सामाजिक कुरीतियाँ एवं गरीबी (सुरेश,बस्सी) दुबले पतले, गेहुँए रंग के साधारण व्यक्तित्व वाले सुरेश बस्सी की पहाडियों के बीच बसे बैनाडा गाँव से है। पिताजी जयपुर में प्राईवेट नौकरी करते है, माँ घरेलू कार्य के साथ-साथ मनरेगा में मजदूरी
हर प्रकार की समस्या का समाधानः शिवजी पीसांगन विकासखंड जीवन में कुछ करने की चाह हो और मेहनत करने की तैयारी हो तो मंजिल मिल ही जाती है। बस दूसरा दशक जैसा कोई मददगार हाथ सही रास्ते पर ले
युवा नेतृत्वकर्ता: सकाराम पिण्डवाडा वर्ष 2007 से पिण्डवाडा में दूसरा दशक की शुरूआत से ही सकाराम का जुड़ाव रहा है। उसने जीवन कौशल प्रशिक्षण से पहली बार दूसरा दशक की गतिविधियों से जुड़ना शुरू किया जो आज तक जारी
सोमवती सपेरा की दास्तान सोमवती, लक्ष्मणगढ सपेरावास में रहने वाली सोमवती की दास्तान तो छोटी सी, मगर उसमें सांप की चाल जैसी टेढ़ी मेढ़ी घुमावदार तकलीफों की दास्तान है। उसका परिवार भीख मांगकर अपनी गुजर बसर करता है। घर के
दिमाग में है- भेदभाव का कीड़ा विमला, देसूरी अरे ! हमारी पानी की मटकी से दूर रहना, नहीं तो हमारे पानी में कीड़े पड़ जायेंगे। तथाकथित ऊँची जाति की एक लड़की ने विमला और उसकी बहिन को ये बात बोली
म्हारी कहानी-म्हारी जुबानी मैं, गांव जोबा के श्री मांगीलाल देवासी के घर जन्मी तीन भाई बहनों में सबसे छोटी 15 साल की संगीता हॅूं। मैं, जब 3 साल की थी तभी मेरी मां हमें छोड़कर कहीं और चली गई।
शुरूआत खुद से ही (नौमान, लक्ष्मणगढ) पहली बार साल 2007 में नौमान सात दिवसीय जीवन कौशल शिक्षा प्रशिक्षण के माध्यम से दूसरा दशक से जुड़ा था । परियोजना में सहभागी का सफर तय करते हुए वह इखवेलो प्रभारी के
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